किराये की बीवी चाहिए तो भारत में यहां लगती है मंडी

भारत में विवाह से जुड़ी परंपराएं और रीति-रिवाज बेहद विविध और दिलचस्प होते हैं। इनमें से कुछ परंपराएं तो इतनी अनोखी और चौंकाने वाली होती हैं कि सुनकर लोग दंग रह जाते हैं। ऐसी ही एक प्रथा है “किराए पर पत्नी” लेने की, जो कुछ खास इलाकों में आज भी जारी है। इस रिपोर्ट में …

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रशियन लड़की को चाहिए भारतीय दूल्हा, जानें क्या हैं शादी की शर्तें

सोशल मीडिया की दुनिया ने रिश्तों और मिलने-जुलने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। अब लोग शादी के लिए भी इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपनी पसंद-नापसंद साझा करने लगे हैं। हाल ही में एक वायरल वीडियो ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है, जिसमें एक रशियन लड़की अपने लिए भारतीय दूल्हे की …

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भारत ने 2050 तक दुनिया का पहला कार्बन-न्यूट्रल देश बनने का लिया बड़ा संकल्प

भारत ने 2050 तक दुनिया का पहला कार्बन-न्यूट्रल देश बनने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया है। यह ऐतिहासिक योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश को संबोधित करते हुए पेश की, जो भारत की जलवायु क्रिया रणनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह घोषणा भारत की नई राष्ट्रीय जलवायु …

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अगर न्याय न मिले तो मेरी लाश गटर में बहा देना: अतुल सुभाष की आखिरी इच्छा

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली, जिसके बाद से इस मामले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। उनकी आत्महत्या के पीछे की वजहें बेहद गंभीर और चौंकाने वाली हैं। सुभाष ने अपने पीछे 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके …

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लॉरेंस बिश्नोई: एक गैंगस्टर का नया अवतार

लॉरेंस बिश्नोई एक प्रमुख भारतीय गैंगस्टर हैं, जिन्होंने संगठित अपराध की दुनिया में एक विशिष्ट पहचान बनाई है। उनका जन्म 1990 के दशक में पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुआ था। एक सामान्य परिवार में जन्म लेने के बावजूद, लॉरेंस ने किशोरावस्था में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा। उनका नाम आज विभिन्न आपराधिक …

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पाकिस्तानी नागरिकों के लिए यूएई वीजा प्रतिबंध

पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, जिसमें लाखों पाकिस्तानी नागरिक यूएई में काम और रहने के लिए जाते हैं। हालांकि, हाल के समय में, यूएई द्वारा लागू किए गए नए वीज़ा नियमों ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए बड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न कर दी हैं। इस निबंध में, हम इन समस्याओं, …

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लॉरेंस बिश्नोई के साए में छाया भारत-कनाडा का कूटनीतिक संकट: संगठित अपराध और आरोपों की उलझन

लॉरेंस बिश्नोई के साए में छाया भारत-कनाडा का कूटनीतिक संकट: संगठित अपराध और आरोपों की उलझन भारत और कनाडा के बीच संबंध हाल ही में गंभीर संकट में हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे के छह कूटनीतिज्ञों को निष्कासित किया है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक गिरावट आई है। यह संकट कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन …

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रतन टाटा: उद्योग जगत के आइकन और समाज सेवक का प्रेरणादायक जीवन

रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, भारत में हुआ। वे टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष और एक प्रमुख उद्योगपति हैं। उनके दादा, जमशेदजी टाटा, ने टाटा समूह की नींव रखी थी। रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में की और फिर उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा हार्वर्ड विश्वविद्यालय से की, जहाँ …

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शैलजा पाइक: पहली दलित इतिहासकार, जिन्होंने बदली शोध की दिशा!

 पुणे:  अमेरिका की एक प्रसिद्ध इतिहासकार, शैलजा पाइक, ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। वह पहली दलित हैं जिन्हें प्रतिष्ठित मैकआर्थर फैलोशिप, जिसे “जीनियस ग्रांट” के नाम से भी जाना जाता है, प्राप्त हुआ है। इस पुरस्कार के साथ $800,000 की राशि दी जाएगी, जिसका उपयोग वह भारत में दलित महिलाओं और जाति, लिंग एवं यौनिकता के जटिल संबंधों पर अपने शोध के लिए करेंगी।  दलित महिलाओं के अनुभवों पर जोर  पाइक के शोध में दलित महिलाओं का अनुभव और जाति के प्रभाव की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उनकी पहली पुस्तक ‘दलित महिलाओं की शिक्षा: डबल भेदभाव’ (2014) में इन महिलाओं को शिक्षा तक पहुँचने में आने वाली बाधाओं का मूल्यांकन किया गया है। वहीं, उनकी दूसरी पुस्तक ‘कास्ट की अश्लीलता: आधुनिक भारत में दलित, यौनिकता और मानवता’ (2022) तमाशा जैसे पारंपरिक लोक नाटक में दलित कलाकारों के जीवन को उजागर करती है।  प्रारंभिक जीवन और शिक्षा  पाइक का जन्म महाराष्ट्र के पोहेगांव में एक दलित परिवार में हुआ था, और बाद में उनका परिवार पुणे के येरवड़ा स्लम में रहने लगा। उनके माता-पिता ने मुश्किल हालात के बावजूद शिक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से बीए और एमए की डिग्री प्राप्त की, और 2007 में वारविक विश्वविद्यालय से पीएचडी की। उनकी माँ, सरिता पाइक, ने अपनी बेटी की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि मेरी बेटी इतनी ऊँचाइयों तक पहुंचेगी, लेकिन यह उसकी मेहनत और संकल्प का परिणाम है।”  शैक्षणिक मार्ग और मान्यता  पाइक ने येल विश्वविद्यालय और यूनियन कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में विभिन्न शैक्षणिक पदों पर कार्य किया है। 2010 से, वह सिटी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं और जाति और लिंग के इतिहास पर अपने महत्वपूर्ण शोध को जारी रखे हुए हैं। मैकआर्थर फैलोशिप ने उनके कार्यों की सराहना की है। फैलोशिप मिलने के बाद, पाइक ने कहा, “असमानताओं और लोगों के अमानवीकरण का अध्ययन करके, हम मानवता और सार्वभौम मुक्ति के बारे में नए तरीके से सोच सकते हैं।” पाइक का कार्य सिर्फ अकादमिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है; यह परिवर्तन को प्रेरित करने और लिंग और जाति मुद्दों की समझ को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है। वह कहती हैं, “भारत ने जाति भेदभाव को गैरकानूनी ठहरा दिया है। फिर भी, जाति लोगों के रोजमर्रा के जीवन के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक ताने-बाने में गहराई से जड़ी हुई है।” इस प्रकार, शैलजा पाइक का योगदान न केवल उनके शोध में है, बल्कि यह दलित आवाजों को सशक्त बनाने और उनके अनुभवों को साझा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी है। 

संविधान सभा में हिंदी को लेकर हुआ विवाद

14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के अवसर पर भारत भर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस साल के हिंदी दिवस पर, हमें संविधान सभा के उस ऐतिहासिक क्षण की याद आई जब हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने को लेकर तीव्र बहस हुई थी। संविधान सभा की ऐतिहासिक बहस पर एक नजर …

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